आप क्या उम्मीद कर रहे थे की मैं कहूँगी-“ कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली ”......... ना भाई न, इतना underestimate नहीं कर सकती स्वयं को ।
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कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली. भारत..... हा हा हा।।।।।।यहाँ तो बुजुगों के लिए काशी करवट है या फिर रोल बहादुर है (बहादुर नेपाली के लिए रूढ़ हो चुका है घरु सहायक के लिए, बुरा लगे या भला अपन बिंदास बोलेगा.....
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गंगू भोज कहाँ तेली राजा कहाँ ((कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली) ६. रोओ दीदे अपने अन्धे के खोओ आगे (अन्धे के आगे रोओ, अपने दीदे खोओ) ७. टेढ़ा आये आँगन नाच ना (नाच ना आये आँगन टेढ़ा) ८. अदरक बंदर जाने स्वाद का क्या (बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद) ९. चढ़ा और नीम करेला (करेला और नीम चढ़ा) १ ०. होगा कर भला भला (कर भला होगा भला) उपर्युक्त प्रकार से और भी कहावतें बन सकती हैं।
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शीर्षकाविषय एक दुसरे के विपरीत हैं, कहाँ मोहब्बत और कहाँ गणित और विज्ञानं, कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली, लेकिन शायद ही किसी ने कभी ये जानने की कोशिश नहीं किया होगा की क्यों भोज और गंगू को ही चुना गया? क्या वास्तव में विपरीत थे? नहीं हो ही नहीं सकता, असमानता की तुलना कहीं न कहीं समानता होने पर की जा सकती है, नदी के दो पाट भी बिलकुल अलग होते हैं लेकिन दोनों ही नदी के किसी न किसी किनारे को दिशा देने में सहयोग करते हैं.